राजस्व और वन विभाग की शह से मात खाती व्यवस्था
कोयले के बाद रेत तस्करी का गढ़ बने घरघोड़ा शहर में इन दिनों राजस्व और वन विभाग के अधिकारी की छत्र छाया में सुविधाओं के साथ चल रहे रेत तस्करी का व्यवसाय तस्करों का फेवरेट धंधा बन चुका है । मोटी कमाई और व्यवस्था संरक्षक अधिकारी की निगेहबानी में तस्कर और अधिकारी दोनो ही लाल नजर आते हैं । लगातार घरघोड़ा क्षेत्र के तीन पॉइंट टेरम ,कंचनपुर एवं बैहामुड़ा के नदी के घाट से नदी का सीना चीर कर जेबें भरी जा रही है और पर्यावरण पर चोट के साथ साथ शासन को भी राजस्व का नुकसान उनके ही मातहत करवा रहे हैं । अधिकारी की इस स्वेच्छाचारिता से यह तो स्पष्ट है कि वो शासन के निर्देशों के पालन के बजाय अनैतिक आमद को प्रिफरेंस दे रहे क्योंकि शायद उन पर किसी का वरद हस्त है जो उन्हें न प्रकृति की चिंता है न अपने पदीय कर्तव्यो की ।
नाबालिग,तस्करी के रेत से भरी ट्रेक्टर और दुःखद मौत
महज 2 दिन पूर्व टेरम के पॉइंट से तस्करी में लिप्त एक ट्रैक्टर में बालू को तस्करी की जा रही थी जहां एक दुर्घटना हो गयी और ट्रेक्टर पलट गया जिसमें 15 साल के नाबालिग की दब कर मौत हो गयी । इससे पहले भी कई वारदातें होती रही हैं जिसका सीधा संबंध रेत की तस्करी के खेल से है परंतु सब जानते समझते हुए भी कब्रों के कफ़न तैयार करती व्यवस्था के साथ अधिकारी का जुड़ाव शुभ संकेत तो कतई नही हैं।
तस्करी पर राजस्व के कागजी कार्यवाही के घोड़े और सिक्युरिटी मनी वाली सेफ्टी??
सूत्रों की मानें तो रेत तस्करी के लिए पूरा मैनेजमेंट बिठाया गया है जिसमे अधिकारी को एक निश्चित रकम बतौर सिक्योरिटी मनी पहुंचाई जाती है । इसमे जो सिक्योरिटी मनी में शेयरिंग नही करता है उस ट्रेक्टर की धड़ पकड़ निश्चित होती है । इसलिए सभी तस्करों द्वारा पूरी टीम के बिहाफ में अधिकारी को लिस्ट और सिक्योरिटी मनी पहुंचाई जाती है और सतत सँबंधो पर काम आसानी से चलता रहता है ।
सिक्योरिटी मनी के बाद टेंशन पर राजस्व अधिकारी से तू तू मैं मैं
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिक्योरिटी मनी लेने के बाद भी ट्रेक्टर पकड़े जाने को लेकर अधिकारी और ट्रेक्टर वालो के बीच तू तू मैं मैं हो गयी । यह तू तू मैं मैं थाने के परिसर में हुई जहां सिक्योरिटी मनी की बाते भी खुलकर राजस्व अधिकारी को कही गयी । अब इन बातों में कितनी सच्चाई है ये तो निश्चय ही जांच का विषय है पर रेत तस्करी की बढ़ती धमक और सुस्त प्रशासन के कारण घरघोड़ा की फिजा अशांति की ओर निरन्तर बढ़ रही है ।
बालू तस्करी पर खबर ना चलाने छूटभैया गुंडे और प्रशासनिक दबाव ??
जब भी कोई पत्रकार खनिज तस्करी को लेकर खबर चलाता है विभिन्न तरीके से पत्रकारों पर दबाव डाला जाता है यहां तक कि उन्हें फर्जी केस में भी फंसाने की धमकी दी जाती है। हालांकि पत्रकारों के लिए यह धमकी कोई नई बात नहीं है और ऐसी खोखली धमकियों से पत्रकार डरते भी नहीं ! मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी इस तरह की खुली भ्रष्ट व्यवस्था एक गंभीर विषय है। अब इसमें देखने वाली बात होगी कि क्या जिले की प्रशासनिक अमला घरघोड़ा के इस भ्रष्ट व्यवस्था पर नजरें इनायत करता है कि नहीं ??
वन क्षेत्र में बालू के अवैध परिवहन को लेकर, चुप्पी साधे बैठा वन विभाग ??
घरघोडा विकासखंड के कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां से बालू वन क्षेत्र से होकर निकलता है जिसको लेकर वन विभाग भी मलाई खाने में पीछे नहीं हटता, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जो बालू तस्कर छोटे साहब को चढ़ावा नही चढ़ाता उन गाड़ियों का चल पाना बड़ा मुश्किल है चाहे वह टेरम हो या कुरकुट नाला हो ?? वन विभाग के बड़े अधिकारी इसको लेकर चुप्पी साधे बैठे हुए हैं! इससे एक बात तो स्पष्ट होता है कि क्या इन छोटे अधिकारियों के भ्रष्ट व्यवस्था में उनका भी हिस्सा है ??